गुरुवार, २८ जून, २०१८

मल्टीप्लायर.
मूंगफली का उत्पादन डबल हो गया.
आपका दोस्त 9767981244
१) किसान भाई का नाम बुद्धीराम गांव देदौर जिला रायबरेली उत्तरप्रदेश, इनको कंपनी के प्रतिनिधि कारण सिंग सर ने मूंगफली के खेत में बढ़ा हुआ उत्पादन लेने के लिए मल्टीप्लायर के इस्तेमाल की सलाह तथा तकनीक दी.
२) किसान भाई ने 250 ग्राम मल्टीप्लायर पानी के साथ 4 बार जमीन से दिया.
३) 15 लीटर पानी में 15 ग्राम मल्टीप्लायर मिलाकर फसल की अलग-अलग अवस्था में 3 बार छिड़काव किया.
४) मूंगफली की फसल हमेशा हलके पिले कलर की होती है, परन्तु मल्टीप्लायर ने इस फसल को डार्क ग्रीन बना दिया, इसलिए सूर्यप्रकाश की मदत से अधिक भोजन बनने लगा.
आपका दोस्त 9गातार अधिक भोजन बनाया इसलिए उत्पादन बढ़कर मिलना था, किसान भाई को एक पौधे से 39 से 43 तक मूंगफली मिली हैं, पहले 18 से 20 मूंगफली मिलती थी, मतलब मल्टीप्लायर के पहले इस्तेमाल में ही उत्पादन डबल हो गया.

सोमवार, २५ जून, २०१८

साढ़े चार महीने का गन्ना, तेजी से बढ़ रहा है.
आपका दोस्त 9767981244
1) किसान भाई का नाम राहुल मछिन्द्र गायकवाड़ ग्राम वाघवे तहसील पन्हाला जिला कोल्हापुर महाराष्ट्र, इनको कंपनी के प्रतिनिधि बाबू जनार्दन केसरकर सर ने मल्टीप्लायर की जानकारी दी.
2) किसान भाई ने 15 जानेवारी को गन्ने की फसल लगाईं थी, हमेशा के मुताबिक रासायनिक खाद का नियोजन था, कंपनी के प्रतिनिधि केसरकर सर ने मल्टीप्लायर की मदत से ज्यादा उत्पादन लेने की तकनीक बताई.
3) 500 ग्राम मल्टीप्लायर पानी में मिलाकर पौधों के रूट झोन में ड्रेंचिंग किया और 500 ग्राम मल्टीप्लायर से दो बार फसल पर छिड़काव किया.
4) कुछ ही दिनों में गन्ने का कलर गहरा हरा होने लगा, ग्रोथ में तेजी आ गई.
5) गन्ने की फसल में ऐसी ग्रोथ पहले नहीं देखी थी, इस बदल की परिसर में चर्चा है, आजु-बाजू के किसान भाई पूछ रहे हैं, क्या डाला है ?

रविवार, २४ जून, २०१८

खुशखबर....खुशखबर ...खुशखबर ...खुशखबर ......शेताकारीबंधावांसाठी .कृष्णा नारायणअस्त्र की अधिक जानकारी.
आपका दोस्त ९७६७९८१२४४
कृष्णा नारायणअस्त्र की ख़ास बातें.
1) कृष्णा नारायणअस्त्र में ना कोई जहर है ना केमिकल, 100 प्रतिसत आर्गनिक है.
2) कृष्णा नारायणअस्त्र प्राकृतिक घटकों से बना है,
3) जब भी हानिकारक किड फसल को नुकसान पहुंचाने का प्रयत्न करते हैं, किड पत्तों के पीछे हो या आगे, कृष्णा नारायणअस्त्र के संपर्क में आ जाते हैं.
4) कृष्णा नारायणअस्त्र रस चूसनेवाले किटक तथा सभी प्रकार की इल्लियों के लिए उपयुक्त है.
5) कृष्णा नारायणअस्त्र में केमिकल नहीं होने से पर्यावरण की हानीकारक नहीं है.
6) कृष्णा नारायणअस्त्र में जहरीली दवाएं नहीं होने के कारण, वातावरण में प्रदुषण नहीं फैलता.
कृष्णा नारायणअस्त्र कौन-कौनसी फसलों के लिए उपयुक्त है.
1) चना ( हरभरा )
2) टमाटर.
3) बैंगन ( वांगे ) ( रिंगन )
4) मिर्ची.
5) शिमला मिर्ची.
6) तम्बाकू.
7) कपास ( नरमा )
8) अरहर दाल ( तूर दाल )
9) सोयाबीन
10) एरंडी ( दिवेला )
11) आम (अम्बा )
12) मौसम्बी.
13) संतरा.
14) निम्बू.
15) अमरुद (पेरू ) ( जाम )
16) चीकू.
नोट :- नाजुक पत्तोंवाली फसलें जैसे- सब्जी-भाजी, तरबूज, खरबूज, भेंडी, बेल पर लगनेवाली सब्जियां, इत्यादि के लिए अनुसंधान सुरु है, शायद बरसात ख़तम होते-होते आपको नाजुक पत्तेवाली फसलों का नारायणअस्त्र भी मिल जाएगा.
कृष्णा नारायणअस्त्र कीटकों पर कैसे काम करता है.
1) कृष्णा नारायणअस्त्र में छिड़काव का घोल बनाते समय सर्वोच्च क्वालिटी का टेक्नीकल स्प्रेडर कृष्णा स्प्रे प्लस प्रति पंप 02 मिली मिलाना जरुरी है, कृष्णा स्प्रे प्लस के कारण छिड़काव का घोल फसल के पत्तों की नस-नस में समा जाता है.
2) जैसे की किटक फसल से रस चूसने या उसको काटने या छेद करने का प्रयत्न करते हैं,
कृष्णा नारायणअस्त्र के संपर्क में आ जाते हैं.
3) कृष्णा नारायणअस्त्र कीटकों के शरीर में जाकर व्याधि उत्पन्न करता है, जिसके कारण किटक फसल की नुकसानी तुरंत बंद कर देते हैं.
4) किटक फसलों से भोजन लेना बंद कर देते हैं, इसलिए भूखे रहकर मर जाते हैं.
5) मतलब कृष्णा नारायणअस्त्र का छिड़काव होते ही फसल का नुकसान तुरंत बंद हो जाता है.
कृष्णा नारायणअस्त्र की मात्रा तथा इस्तेमाल का तरीका.
१) 15 लीटर के पंप में सिर्फ 5 मिली कृष्णा नारायणअस्त्र तथा 02 मिली कृष्णा स्प्रे प्लस मिलाना है.
२) पहले आधा पंप पानी से भर लें, फिर अलग डब्बे में 2 लीटर पानी में कृष्णा नारायणअस्त्र 5 मिली तथा 02 मिली कृष्णा स्प्रे प्लस मिला लें, फिर उस घोल को पंप में डालकर, पंप में जितनी जगह हो पानी भर लें, फिर काड़ी की मदत से हलाने के बाद फसलों पर छिड़काव सुरु करें.
३) छिड़काव के समय चाल तेज रखें, पत्तों को बहोत ज्यादा गीला करने की आवश्यकत नहीं है.
कृष्णा नारायणअस्त्र के इस्तेमाल से होनेवाला फायदा.
1) रासायनिक कंट्रोल में अलग-अलग कीड़ों की अलग-अलग दवाएं होने के कारण कई बार 2 या 3 दवाओं का मिश्रण करना पड़ता है, जबकि कृष्णा नारायणअस्त्र अकेला इस्तेमाल करना पड़ता है.
2) अधिक दवाओं के इस्तेमाल से खेती का लागत मूल्य बढ़ जाता है, कृष्णा नारायणअस्त्र बहोत कम मात्रा में तथा अकेला इस्तेमाल होने से खर्च में भारी बचत होती है.
3) रासायनिक छिड़काव में, छिड़काव के बाद कोई दूसरी किड दिखने पर फिर से छिड़काव करना पड़ता है, कृष्णा नारायणअस्त्र का बार-बार छिड़काव नहीं करना पड़ता, इसलिए समय,श्रम तथा पैसों की बचत होती है.
4) रासायनिक छिड़काव में एक पंप की दवा का खर्च 80 से 100 रुपये तक आता है, जबकि कृष्णा नारायणअस्त्र का एक पंप का खर्च 15 रुपये से भी कम आता है.
5) रासायनिक में सफ़ेद मक्खी या थ्रिप्स जैसे किटक बड़ी मुश्किल से कंट्रोल होते हैं, जब तक कंट्रोल में आते हैं, फसल का बहोत नुकसान कर चुके होते हैं, कृष्णा नारायणअस्त्र उपरोक्त कीटकों को आसानी से कंट्रोल करता है.
6) रासायनिक में इल्ली के लिए अलग-अलग दवाएं हैं, कुछ दवाएं तो प्रति लीटर 15000 तक की हैं, कृष्णा नारायणअस्त्र सभी प्रकार की इल्लियों को आसानी से कंट्रोल करता है.
7) कृष्णा नारायणअस्त्र सिर्फ पत्तों के ऊपर से छिड़काव करना है, रासायनिक दवाएं किसान भाई पत्तों के पीछे मारने का प्रयत्न करते हैं, जिसके कारण दुर्घटना भी होती हैं.
नोट :- कृष्णा नारायणअस्त्र में प्रति पंप 02 मिली कृष्णा स्प्रे प्लस मिलाना जरुरी है, अन्यथा अपेक्षित किटक कंट्रोल नहीं मिलेगा. http://imojo.in/2ml1wx
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कृष्णा नारायणअस्त्र की ख़ास बातें.
1) कृष्णा नारायणअस्त्र में ना कोई जहर है ना केमिकल, 100 प्रतिसत आर्गनिक है.
2) कृष्णा नारायणअस्त्र प्राकृतिक घटकों से बना


भेंडी की खेती मल्टीप्लायर के साथ.
आपका दोस्त ८९५६८७१२४४ 
1) किसान भाई का नाम श्री श्रवण चौधरी ग्राम पिरदा थाना बसना जिला महासमुंद छत्तीसगढ़, इनको कंपनी के प्रतिनिधि सुभास प्रधान सर ने मल्टीप्लायर की मदत से बढ़ा हुआ उत्पादन लेने की तकनीक बताई.
2) रासायनिक खाद की खेती में जिस खेत में मिटटी ज्यादा ख़राब हो जाती है, वहां खाद कितना भी डाला हो, फसल का कुपोषण होने से फसल किड रोग से ग्रस्त हो रही हैं, इसलिए जहरीली दवाओं का इस्तेमाल बढ़ गया है.
3) उसी प्रकार यहाँ भी किसान भाई की भिंडी की फसल किड रोग के अटेक में आने से उसकी ग्रोथ रुक गई थी, कंपनी प्रतिनिधि की सलाह अनुसार किसान भाई ने एक किलो मल्टीप्लायर DAP में मिलाकर दिया.
4) कुछ ही दिनों में फसल को पोषण मिलना सुरु हो गया, फसल बलवान बन गई, किड रोग से भी मुक्ति मिल गई.
5) जहाँ ग्रोथ नहीं मिल रही थी वहां उत्पादन प्रारम्भ हो गया है.

शुक्रवार, २२ जून, २०१८

मल्टीप्लायर
कम खर्च में फसल जबरदस्त.आपका दोस्त ८९५६८७१२४४ 
1) किसान भाई का नाम अनंता पहाड़सिंग मोरे गांव दिवठाणा तहसील चिखली जिला बुलढाणा, इनको कंपनी के प्रतिनिधि प्रभाकर वाबळे सर ने मल्टीप्लायर तकनीक की मदत से किड रोग में कमी तथा अधिक उत्पादन लेने की जानकारी दी.
2) किसान भाई ने करेले की फसल में प्रत्येक 8 दिन के अंतर से २५० ग्राम मल्टीप्लायर दिया.
3) प्रत्येक १० दिन के अंतर से १५ लीटर पानी में १५ ग्राम मल्टीप्लायर मिलाकर छिड़काव किया.
4) फसल तेजी से बढ़ने लगी, पत्तों का आकार बड़ा बन गया, कलर डार्क ग्रीन बना रहा.
5) किड रोग कम आने से पैसों की बचत हुई, दूसरे महंगे उत्पादनों का इस्तेमाल नहीं करना पड़ा.

गुरुवार, २१ जून, २०१८

जवार की ऐसी फसल जिसे देखने को मन ललचाये.
1) किसान भाई का नाम अशोक ठाकरे ग्राम कुपटी तहसील उमरखेड़ जिला यवतमाल महाराष्ट्र, इनको कंपनी के प्रतिनिधि सचिन देशमुख सर ने मल्टीप्लायर की मदत से बढ़ा हुआ उत्पादन लेने की जानकारी दी.
2) किसान भाई ने 4 एकड़ क्षेत्र में ज्वार की फसल लगाईं थी, प्रति एकड़ 1 किलो मल्टीप्लायर रासायनिक खाद में कोटिंग करके दिया.
3) 15 लीटर पानी में 15 ग्राम मल्टीप्लायर मिलाकर 5 बार फसल पर छिड़काव किया.
4) किसान भाई का कहना है की, पिछले साल के मुकाबले ज्यादा उत्पादन मिलेगा.

बुधवार, २० जून, २०१८

१) संजय चौकसे सर की खेती पंचवटी ढाबा सहजपुर जिला सिवनी मध्यप्रदेश में है, कंपनी के बिजनेस कोआर्डिनेटर हिमांशु मिश्रा सर ने मल्टीप्लायर की मदत से फायदे की खेती करने का तरीका बताया, किसान भाई ने पहले दिन से मल्टीप्लायर की तकनीक का इस्तेमाल करके मिर्ची की फसल लगाईं.
२) VNR कंपनी की सुनिधि वेरायटी की मिर्ची लगाईं है, प्रत्येक ५ दिन के अंतर से, ड्रिप इरीगेशन द्वारा २५० ग्राम मल्टीप्लायर नियमित दिया जा रहा है.
३) फसल पर प्रत्येक ७ वे दिन १५ लीटर पानी में २० ग्राम मल्टीप्लायर मिलाकर छिड़काव किया जा रहा है.
४) पौधों की ग्रोथ सिर्फ ऊंचाई में नहीं, चौड़ाई में ज्यादा हो रही है, मिर्ची की फसल का वैशिष्ठ्य है जितनी शाखाएं ज्यादा उतना उत्पादन ज्यादा.
५) मिर्ची की फसल में सबसे ज्यादा खर्चा किटक तथा रोगों को कंट्रोल करने में खर्च हो जाता है, कुपोषण के कारण फसल पर किटक और रोगों का हल्ला होता है, उससे निजात पाने में हमारा काफी पैसा खर्च हो जाता है, मल्टीप्लायर के इस्तेमाल से फसल बलवान बनती है, उसका कुपोषण नहीं होता, इसलिए जहरीली दवाओं पर किये जानेवाले खर्च में बचत होती है.

मंगळवार, १९ जून, २०१८

बैंगन की खेती मल्टीप्लायर के साथ.
आपका दोस्त ८९५६८७१२४४ 
1) किसान भाई का नाम जितेंद्र चापके ग्राम पूर्णा बाजार तहसील भातकुली जिला अमरावती महाराष्ट्र, इनको कंपनी के प्रतिनिधि कपिल नामदेवराव गारुड़ी सर ने मल्टीप्लायर इस्तेमाल करने की सलाह दी.
2) किसान भाई ने बैंगन की फसल में 250 ग्राम मल्टीप्लायर अभी तक 3 बार दिया है.
3) अभी टेम्प्रेचर बहोत ज्यादा होने के कारण फसलों का रंगरूप ख़राब हो गया है, परन्तु इस फसल में मल्टीप्लायर का उपयोग होने के कारण टेम्प्रेचर का कोई लक्षण नजर नहीं आ रहा, फसल देखने में श्रावण महीने में जैसी फसल दिखती है, बिलकुल वैसी दिख रही है.
4) ग्रोथ अच्छी है, फूल लग रहे हैं बैंगन में परिवर्तित हो रहे हैं.
5) कपिल सर ने बताया की, मल्टीप्लायर ने फसल को इतना बलवान बना दिया की, किड और रोग के लिए किये जानेवाले छिड़काव में बहोत कमी आई है.

गुरुवार, १४ जून, २०१८

फसल मिर्ची की किड रोग का पता नहीं.
आपका दोस्त ८९५६८७१२४४ 
1) किसान भाई का नाम संदीप वैद्य आंबेगाव जिला पुणे महाराष्ट्र, इनको कंपनी के प्रतिनिधि जयसिंग गबाजी बटवाल सर ने बताया की, मिर्ची की फसल पैसा बहोत देती है, परन्तु वह पैसा किड रोग के नियंत्रण में लग जाता है.
2) मल्टीप्लायर तकनीक से खेती करनेवाले किसान भाई की फसल में कीड रोग की समस्या नहीं या कम से कम आती है और उत्पादन बढ़कर मिलता है, इसलिए जो किसान भाई मल्टीप्लायर तकनीक से खेती करते हैं, हमखास पैसा कमाते हैं.
3) किसान भाई ने 1 एकड़ क्षेत्र में मिर्ची लगाईं, बेड तैयार करते समय रासायनिक खाद के साथ 1 किलो मल्टीप्लायर मिलाकर दिया.
4) पौधे लगाने के बाद 200 लीटर पानी में 200 ग्राम मल्टीप्लायर मिलाकर पौधों के रूट झोन में ड्रेंचिंग किया.
5) प्रत्येक आठ दिन के अंतर से 250 ग्राम मल्टीप्लायर ड्रिप इरीगेशन सिस्टम से दिया जा रहा है.
6) प्रत्येक आठ दिन के अंतर से 15 लीटर पानी में 15 ग्राम मल्टीप्लायर + 2 मिली कृष्णा ऑल क्लियर + 1 मिली कृष्णा स्प्रे प्लस मिलाकर छिड़काव किया जा रहा है.
7) मल्टीप्लायर ने फसल को प्राकृतिक पोषण बिनामूल्य मिला देने के कारण, फसल तेजी से बढ़ रही है, बलवान फसल पर अभी तक किटक तथा रोग का अटेक नहीं है.
8) जल्दी ही मिर्ची बाजार में बिक्री के लिए जानेवाली है.

बुधवार, १३ जून, २०१८

भेंडी की खेती मल्टीप्लायर के साथ.
आपका दोस्त ८९५६८७१२४४ 
1) किसान भाई का नाम श्री श्रवण चौधरी ग्राम पिरदा थाना बसना जिला महासमुंद छत्तीसगढ़, इनको कंपनी के प्रतिनिधि सुभास प्रधान सर ने मल्टीप्लायर की मदत से बढ़ा हुआ उत्पादन लेने की तकनीक बताई.
2) रासायनिक खाद की खेती में जिस खेत में मिटटी ज्यादा ख़राब हो जाती है, वहां खाद कितना भी डाला हो, फसल का कुपोषण होने से फसल किड रोग से ग्रस्त हो रही हैं, इसलिए जहरीली दवाओं का इस्तेमाल बढ़ गया है.
3) उसी प्रकार यहाँ भी किसान भाई की भिंडी की फसल किड रोग के अटेक में आने से उसकी ग्रोथ रुक गई थी, कंपनी प्रतिनिधि की सलाह अनुसार किसान भाई ने एक किलो मल्टीप्लायर DAP में मिलाकर दिया.
4) कुछ ही दिनों में फसल को पोषण मिलना सुरु हो गया, फसल बलवान बन गई, किड रोग से भी मुक्ति मिल गई.
5) जहाँ ग्रोथ नहीं मिल रही थी वहां उत्पादन प्रारम्भ हो गया है

बैंगन की खेती फार्मर च्वाईस के साथ.
आपका दोस्त ८९५६८७१२४४ 
1) किसान भाई का नाम श्री नितेश रंगरावजी ढाकरे ग्राम आसेगांवपूर्णा तहसील चांदुर बाजार जिला अमरावती महाराष्ट्र, इनको कंपनी के प्रतिनिधि कपिल नामदेवराव गारुड़ी सर ने फार्मर चवाईस की मदत से कम खर्च में ज्यादा उत्पादन लेनेवाली तकनीक बताई.
2) किसान भाई ने बैंगन की फसल में, खेत में पौधे लगाने के बाद 250 ग्राम मल्टीप्लायर पानी के साथ दिया.
3) 15 दिन बाद फिर से 250 ग्राम मल्टीप्लायर पानी के साथ दिया.
4) पौधे खेत में लगाने के बाद प्रत्येक 10 दिन के अंतर से 15 लीटर पानी में 15 ग्राम मल्टीप्लायर + 2 मिली कृष्णा ऑल क्लियर + 1 मिली कृष्णा स्प्रे प्लस मिलाकर छिड़काव किया.
5) मल्टीप्लायर के कारण फसल को सभी प्रकार के अन्नद्रव्य मुबलक प्रमाण में मिलने के कारण फसल बलवान बन गई, छिड़काव के माध्यम से मल्टीप्लायर और कृष्णा ऑल क्लियर मिल गया, इसलिए फसल तेजी से बढ़ने लगी, फसल को बढ़ाने के लिए दूसरे किसी उत्पादन का इस्तेमाल नहीं करना पड़ा.

सोमवार, ११ जून, २०१८

बैंगन की खेती मल्टीप्लायर के साथ.
आपका दोस्त ८९५६८७१२४४ 
1) किसान भाई का नाम जितेंद्र चापके ग्राम पूर्णा बाजार तहसील भातकुली जिला अमरावती महाराष्ट्र, इनको कंपनी के प्रतिनिधि कपिल नामदेवराव गारुड़ी सर ने मल्टीप्लायर इस्तेमाल करने की सलाह दी.
2) किसान भाई ने बैंगन की फसल में 250 ग्राम मल्टीप्लायर अभी तक 3 बार दिया है.
3) अभी टेम्प्रेचर बहोत ज्यादा होने के कारण फसलों का रंगरूप ख़राब हो गया है, परन्तु इस फसल में मल्टीप्लायर का उपयोग होने के कारण टेम्प्रेचर का कोई लक्षण नजर नहीं आ रहा, फसल देखने में श्रावण महीने में जैसी फसल दिखती है, बिलकुल वैसी दिख रही है.
4) ग्रोथ अच्छी है, फूल लग रहे हैं बैंगन में परिवर्तित हो रहे हैं.
5) कपिल सर ने बताया की, मल्टीप्लायर ने फसल को इतना बलवान बना दिया की, किड और रोग के लिए किये जानेवाले छिड़काव में बहोत कमी आई है.

रविवार, १० जून, २०१८

मल्टीप्लायर.
आम का उत्पादन 6 गुना तक बढ़ गया.

1) किसान भाई का नाम श्री नरेंद्र सिंह ग्राम केशगांव सरगुजा जिला सरगुजा छत्तीसगढ़, इनको कंपनी के प्रतिनिधि रजनीश पटेल सर ने मल्टीप्लायर तकनीक का इस्तेमाल करके ज्यादा उत्पादन लेने की सलाह दी.
2) किसान भाई पिछले कई सालों से कम उत्पादन से चिंतित थे, उन्होंने अपनी समस्या रजनीश पटेल सर को बताई, रजनीश सर ने बताया की, यह समस्या आपकी अकेले की नहीं है, पूरा भारत इस समस्या से ग्रस्त है.
3) रासायनिक खाद ने मिटटी के जीवाणु मार डाले, अब रासायनिक खाद जीवाणुओं की कमी के कारण फसलों को फसलों को नहीं मिल पाने के कारण, फसलों का कुपोषण हो रहा है.
4) किसान भाई ने प्रत्येक आम के पेड़ को 50 ग्राम मल्टीप्लायर जमीन से दिया.
5) 15 लीटर पानी में 10 ग्राम मल्टीप्लायर मिलाकर 3 बार पेड़ों पर छिड़काव किया.
6) पेड़ों को मल्टीप्लायर मिलते ही, प्रकृति की बिनामूल्य पोषण देनेवाली व्यवस्था सुरु हो गई, इसलिए पेड़ों को ज्यादा मात्रा में भोजन मिलने लगा.
7) आम के पत्तों का आकार बड़ा बना, पत्तों का कलर डार्क ग्रीन मिला, बोर (मोहोर) स्ट्रांग आने के कारण सेटिंग ज्यादा मिली.
8) फलों का आकार भी बड़ा बन गया, आम की संख्या इतनी ज्यादा है की, किसान भाई का कहना है की, पिछले सालों के मुकाबले इस बार उत्पादन 6 गुना ज्यादा मिलेगा इतना आम पेड़ों पर लगा है.

गुरुवार, ७ जून, २०१८

मिर्ची की नर्सरी मल्टीप्लायर के साथ.
आपका दोस्त ८९५६८७१२४४ 
1) नर्सरी मालक का नाम योगेश प्रकाश पाटील ग्राम उंटावद तहसील शिरपुर जिला धुलिया महाराष्ट्र, इनको कंपनी के प्रतिनिधि प्रभुसिंग परदेशी सर ने नर्सरी में मल्टीप्लायर तकनीक के इस्तेमाल की जानकारी दी.
2) पाटील सर ने कंपनी प्रतिनिधि के पास से 2 किलो मल्टीप्लायर लिया, उसका मिर्ची की नर्सरी में इस्तेमाल किया.
3) नर्सरी में मल्टीप्लायर के इस्तेमाल के बाद पाटील सर ने कुछ ख़ास महसूस किया, जैसे हर साल कुछ पौधों में मर रोग आता था, इस बार एक भी पौधा नहीं मारा, पौधों की ग्रोथ इतनी शानदार नहीं होती थी, पत्तियों का कलर डार्क ग्रीन लगातार बना रहा.
4) रिझल्ट देखने के बाद पाटील सर ने मल्टीप्लायर की पूरी पति मंगवा ली और कंपनी के प्रतिनिधि को बताया की, इन पौधों को खेत में लगानेवाले सभी किसान भाइयों को सलाह दूंगा की, मल्टीप्लायर की मदत से कम से कम किड रोग के साथ ज्यादा उत्पादन प्राप्त करो.

बुधवार, ६ जून, २०१८

अभी बरसात आना बाकी है.
मल्टीप्लायर कपास की ऊंचाई कंधे तक पहुँच गई.
आपका दोस्त ८९५६८७१२४४
1) किसान भाई का नाम देवेंद्र पाटीदार ग्राम करोंदिया तहसील महेश्वर जिला खरगोन मध्यप्रदेश, इनको कंपनी की प्रतिनिधि श्रीमती किरण चंद्रशेखर ने मल्टीप्लायर तकनीक से रेकार्ड ब्रेक उत्पादन लेने की तकनीक बताई.
2) किसान भाई ने ढाई एकड़ क्षेत्र में कपास की फसल लगाईं, रासायनिक खाद पोटास के साथ 2 किलो मल्टीप्लायर जमीन से दिया.
3) बीज अंकुरित होने के बाद आठ दिन बाद दिन के अंतर से 2 बार १५ लीटर पानी में १५ ग्राम मल्टीप्लायर मिलाकर छिड़काव किया.
4) यूरिया खाद देते समय 2 किलो मल्टीप्लायर का कोटिंग यूरिया खाद पर किया.
5) उसके बाद आठ दिन के अंतर से 2 बार १५ लीटर पानी में १५ ग्राम मल्टीप्लायर मिलाकर छिड़काव किया.
6) पत्तों का आकार बड़ा है, पत्तों का कलर डार्क ग्रीन है, अभी तक किटक रोग की कोई समस्या नहीं है.
7) जबरदस्त ग्रोथ हुई है, सभी का कहना है की, रेकार्ड ब्रेक उत्पादन मिलेगा
केले की खेती मल्टीप्लायर तकनीक के साथ करने का तरीका.
आपका दोस्त ८९५६८७१२४४
1) अगर आप केले के कंद लगा रहे हों, तब 10 लीटर पानी में 50 ग्राम मल्टीप्लायर मिलाकर केले के कंद उसमें डुबाकर लगाएं.
2) केले की फसल एक संवेदनशील फसल है , इस फसल के लिए मिट्टी का उपजाऊ होना मतलब मिट्टी का भुरभुरी होना, और विषाणुमुक्त होना बहुत ज़रूरी है, अन्यथा केले की फसल में सिगाटोका, बंचीटॉप एवं करपा इत्यादि रोगों का अटेक होता है, इसीलिए केले की फसल में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना पड़ेगा, और रासायनिक खादों का इस्तेमाल धीरे धीरे कम करना पड़ेगा, जिन किसान भाइयों ने रासायनिक खादों का इस्तेमाल ज़्यादा मात्रा में किया है, उनके खेतों में यह समस्या गंभीर रूप धारण कर चुकी है, ऐसे बहुत सारे किसान भाइयों ने केले की खेती करना बंद कर दिया है.
3) फसल को मिटटी से उत्पन्न होनेवाले सभी प्रकार के रोगों से तथा फसल को कुपोषित करनेवाले हानिकारक विषाणुओं से बचाने के लिए, कंपनी के बताए अनुसार ट्रायकोडर्मा ट्रीटमेंट करना जरुरी है, इसके लिए ट्रायकोडर्मा खेत पर तैयार करना है, कंपनी के बताये अनुसार ट्रायकोडर्मा तैयार करके खेत में देने का 1 एकड़ का खर्च 40 रुपये आता है.
4) केले के पौधे खेत में लगाने के अगले 45 दिनों तक हर 5 दिन में 200 ग्राम मल्टीप्लायर 200 लीटर पानी में मिलाकर हर पौधे के रूटज़ोन में 100 मिली घोल का ड्रेन्चिंग करना है.
5) 45 दिनों के बाद प्रत्येक 1000 पौधों के लिए, हर महीना 1 किलो मल्टीप्लायर उत्पादन तैयार होने के एक महीने पहले तक देना है, इसे चार भाग में बाँट कर प्रति सप्ताह 250 ग्राम देने से ज्यादा अच्छा रिझल्ट मिलता है, मल्टीप्लायर पानी के साथ देने का तरीका अलग से बताया गया है.
6) रासायनिक खाद एकदम से बंद नहीं करना है, उसका प्रमाण 20 प्रतिसत कम करिये, जब आपको उत्पादन बढ़कर मिले, तब अगली फसल में रासायनिक खाद और कम करिये, कुछ सालों में आपका रासायनिक खाद शून्य हो जायेगा.
7) अगर आपकी मिट्टी बहुत ज़्यादा खराब हो गयी है तब फायदा धीरे धीरे होगा और अगर आपकी मिट्टी कम खराब है तो फायदा आपको तुरंत नज़र आएगा.
8) केले की फसल में चिलिंग की समस्या सामने आने लगी है , जिस फसल में चिलिंग का प्रॉब्लम आता है, उसके केले पर पकते समय बाहर से दाग दिखते हैं, और केला अंदर से सड़ने लगता हैं, केले के व्यापारी केले की बाग में भाव ठहराते समय, केले के छिलके को, ऊपर से हटाकर देखते हैं, छिलके के अंदर के भाग में, यदि चिलिंग के लक्षण दिखाई दिए, तो व्यापारी उस माल को कम भाव में मांगते हैं.
9) मल्टीप्लायर केले की फसल को सिर्फ बलवान नहीं बनाता, अपितु उसके स्वास्थ्य को भी अच्छा बनाता है, मल्टीप्लायर का जहाँ जहाँ भी उपयोग हुआ है, वहाँ पर हमने चिलिंग प्रॉब्लम नहीं देखा, जिनके खेतों में हमेशा चिलिंग प्रॉब्लम देखा जाता था, वहाँ पर भी मल्टीप्लायर के इस्तेमाल के बाद चिलिंग की समस्या नहीं देखी गई.
10) मल्टीप्लायर का इस्तेमाल करने के कारण फसल को बढ़ाने के लिए, पत्तों को गहरे हरे रंग का बनाने के लिए, दूसरे किसी उत्पादन की आवश्यकता नहीं पड़ती.
11) मल्टीप्लायर तकनीक से खेती करने से 5 से 7 साल में रासायनिक खाद का इस्तेमाल शून्य हो जाता है, सम्पूर्ण खेती आर्गनिक बन जाती है, जिस दिन से मल्टीप्लायर तकनीक का इस्तेमाल करेंगे, अगले सात सालों तक हर साल बढ़ा हुआ उत्पादन मिलेगा.
12) आवश्यक सूचना :- सभी प्रकार की फसलों से सम्बंधित जानकारी कंपनी ने लिखित स्वरूप में उपलब्ध कराई है, कृपया उसका अनुपालन करें, कंपनी प्रतिनिधि के पास सभी जानकारी उपलब्ध हैं, फसल की किसी भी स्टेज में, अगर आप कंपनी के उत्पादनों से असंतुष्ट हों, तब तुरंत हमारे उत्पादनों का इस्तेमाल बंद कर सकते

सोमवार, ४ जून, २०१८

फसल मिर्ची की किड रोग का पता नहि
आपका दोस्त ८९५६८७१२४४
1) किसान भाई का नाम संदीप वैद्य आंबेगाव जिला पुणे महाराष्ट्र, इनको कंपनी के प्रतिनिधि जयसिंग गबाजी बटवाल सर ने बताया की, मिर्ची की फसल पैसा बहोत देती है, परन्तु वह पैसा किड रोग के नियंत्रण में लग जाता है.
2) मल्टीप्लायर तकनीक से खेती करनेवाले किसान भाई की फसल में कीड रोग की समस्या नहीं या कम से कम आती है और उत्पादन बढ़कर मिलता है, इसलिए जो किसान भाई मल्टीप्लायर तकनीक से खेती करते हैं, हमखास पैसा कमाते हैं.
3) किसान भाई ने 1 एकड़ क्षेत्र में मिर्ची लगाईं, बेड तैयार करते समय रासायनिक खाद के साथ 1 किलो मल्टीप्लायर मिलाकर दिया.
4) पौधे लगाने के बाद 200 लीटर पानी में 200 ग्राम मल्टीप्लायर मिलाकर पौधों के रूट झोन में ड्रेंचिंग किया.
5) प्रत्येक आठ दिन के अंतर से 250 ग्राम मल्टीप्लायर ड्रिप इरीगेशन सिस्टम से दिया जा रहा है.
6) प्रत्येक आठ दिन के अंतर से 15 लीटर पानी में 15 ग्राम मल्टीप्लायर + 2 मिली कृष्णा ऑल क्लियर + 1 मिली कृष्णा स्प्रे प्लस मिलाकर छिड़काव किया जा रहा है.
7) मल्टीप्लायर ने फसल को प्राकृतिक पोषण बिनामूल्य मिला देने के कारण, फसल तेजी से बढ़ रही है, बलवान फसल पर अभी तक किटक तथा रोग का अटेक नहीं है.
8) जल्दी ही मिर्ची बाजार में बिक्री के लिए जानेवाली है.
साढ़े चार महीने का गन्ना, तेजी से बढ़ रहा है.आपका दोस्त ८९५६८७१२४४
1) किसान भाई का नाम राहुल मछिन्द्र गायकवाड़ ग्राम वाघवे तहसील पन्हाला जिला कोल्हापुर महाराष्ट्र, इनको कंपनी के प्रतिनिधि बाबू जनार्दन केसरकर सर ने मल्टीप्लायर की जानकारी दी.
2) किसान भाई ने 15 जानेवारी को गन्ने की फसल लगाईं थी, हमेशा के मुताबिक रासायनिक खाद का नियोजन था, कंपनी के प्रतिनिधि केसरकर सर ने मल्टीप्लायर की मदत से ज्यादा उत्पादन लेने की तकनीक बताई.
3) 500 ग्राम मल्टीप्लायर पानी में मिलाकर पौधों के रूट झोन में ड्रेंचिंग किया और 500 ग्राम मल्टीप्लायर से दो बार फसल पर छिड़काव किया.
4) कुछ ही दिनों में गन्ने का कलर गहरा हरा होने लगा, ग्रोथ में तेजी आ गई.
5) गन्ने की फसल में ऐसी ग्रोथ पहले नहीं देखी थी, इस बदल की परिसर में चर्चा है, आजु-बाजू के किसान भाई पूछ रहे हैं, क्या डाला है ?

 अरहर (तुवर) खेती।   मल्टीप्लायर तकनीक के साथ।           १) किसान भाई का नाम श्री रविंद्र दरसिम्बे धारणी जिला अमरावती महाराष्ट्र।   २) मार्ग...