बुधवार, ६ जून, २०१८

केले की खेती मल्टीप्लायर तकनीक के साथ करने का तरीका.
आपका दोस्त ८९५६८७१२४४
1) अगर आप केले के कंद लगा रहे हों, तब 10 लीटर पानी में 50 ग्राम मल्टीप्लायर मिलाकर केले के कंद उसमें डुबाकर लगाएं.
2) केले की फसल एक संवेदनशील फसल है , इस फसल के लिए मिट्टी का उपजाऊ होना मतलब मिट्टी का भुरभुरी होना, और विषाणुमुक्त होना बहुत ज़रूरी है, अन्यथा केले की फसल में सिगाटोका, बंचीटॉप एवं करपा इत्यादि रोगों का अटेक होता है, इसीलिए केले की फसल में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना पड़ेगा, और रासायनिक खादों का इस्तेमाल धीरे धीरे कम करना पड़ेगा, जिन किसान भाइयों ने रासायनिक खादों का इस्तेमाल ज़्यादा मात्रा में किया है, उनके खेतों में यह समस्या गंभीर रूप धारण कर चुकी है, ऐसे बहुत सारे किसान भाइयों ने केले की खेती करना बंद कर दिया है.
3) फसल को मिटटी से उत्पन्न होनेवाले सभी प्रकार के रोगों से तथा फसल को कुपोषित करनेवाले हानिकारक विषाणुओं से बचाने के लिए, कंपनी के बताए अनुसार ट्रायकोडर्मा ट्रीटमेंट करना जरुरी है, इसके लिए ट्रायकोडर्मा खेत पर तैयार करना है, कंपनी के बताये अनुसार ट्रायकोडर्मा तैयार करके खेत में देने का 1 एकड़ का खर्च 40 रुपये आता है.
4) केले के पौधे खेत में लगाने के अगले 45 दिनों तक हर 5 दिन में 200 ग्राम मल्टीप्लायर 200 लीटर पानी में मिलाकर हर पौधे के रूटज़ोन में 100 मिली घोल का ड्रेन्चिंग करना है.
5) 45 दिनों के बाद प्रत्येक 1000 पौधों के लिए, हर महीना 1 किलो मल्टीप्लायर उत्पादन तैयार होने के एक महीने पहले तक देना है, इसे चार भाग में बाँट कर प्रति सप्ताह 250 ग्राम देने से ज्यादा अच्छा रिझल्ट मिलता है, मल्टीप्लायर पानी के साथ देने का तरीका अलग से बताया गया है.
6) रासायनिक खाद एकदम से बंद नहीं करना है, उसका प्रमाण 20 प्रतिसत कम करिये, जब आपको उत्पादन बढ़कर मिले, तब अगली फसल में रासायनिक खाद और कम करिये, कुछ सालों में आपका रासायनिक खाद शून्य हो जायेगा.
7) अगर आपकी मिट्टी बहुत ज़्यादा खराब हो गयी है तब फायदा धीरे धीरे होगा और अगर आपकी मिट्टी कम खराब है तो फायदा आपको तुरंत नज़र आएगा.
8) केले की फसल में चिलिंग की समस्या सामने आने लगी है , जिस फसल में चिलिंग का प्रॉब्लम आता है, उसके केले पर पकते समय बाहर से दाग दिखते हैं, और केला अंदर से सड़ने लगता हैं, केले के व्यापारी केले की बाग में भाव ठहराते समय, केले के छिलके को, ऊपर से हटाकर देखते हैं, छिलके के अंदर के भाग में, यदि चिलिंग के लक्षण दिखाई दिए, तो व्यापारी उस माल को कम भाव में मांगते हैं.
9) मल्टीप्लायर केले की फसल को सिर्फ बलवान नहीं बनाता, अपितु उसके स्वास्थ्य को भी अच्छा बनाता है, मल्टीप्लायर का जहाँ जहाँ भी उपयोग हुआ है, वहाँ पर हमने चिलिंग प्रॉब्लम नहीं देखा, जिनके खेतों में हमेशा चिलिंग प्रॉब्लम देखा जाता था, वहाँ पर भी मल्टीप्लायर के इस्तेमाल के बाद चिलिंग की समस्या नहीं देखी गई.
10) मल्टीप्लायर का इस्तेमाल करने के कारण फसल को बढ़ाने के लिए, पत्तों को गहरे हरे रंग का बनाने के लिए, दूसरे किसी उत्पादन की आवश्यकता नहीं पड़ती.
11) मल्टीप्लायर तकनीक से खेती करने से 5 से 7 साल में रासायनिक खाद का इस्तेमाल शून्य हो जाता है, सम्पूर्ण खेती आर्गनिक बन जाती है, जिस दिन से मल्टीप्लायर तकनीक का इस्तेमाल करेंगे, अगले सात सालों तक हर साल बढ़ा हुआ उत्पादन मिलेगा.
12) आवश्यक सूचना :- सभी प्रकार की फसलों से सम्बंधित जानकारी कंपनी ने लिखित स्वरूप में उपलब्ध कराई है, कृपया उसका अनुपालन करें, कंपनी प्रतिनिधि के पास सभी जानकारी उपलब्ध हैं, फसल की किसी भी स्टेज में, अगर आप कंपनी के उत्पादनों से असंतुष्ट हों, तब तुरंत हमारे उत्पादनों का इस्तेमाल बंद कर सकते

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