बुधवार, २८ फेब्रुवारी, २०१८

तिल, तीळ.
तिल की फसल का मल्टीप्लायर के साथ नियोजन.

तिल की बुवाई करने के पहले बीजों को मल्टीप्लायर से बीजोपचारित करें, बीजोपचार कैसे करें इसकी जानकारी अलग से दी गई है.

तिल की फसल में बीजों की बुवाई करते समय १ किलो मल्टीप्लायर जमीन से देना है, उसके १ महीने बाद फिर से १ किलो मल्टीप्लायर देना है, मल्टीप्लायर जमीन से देने का तरीका अलग से बताया गया है.

छिड़काव से फसल पर ज्यादा अच्छा और तुरंत परिणाम मिलता है, इसलिए जमीन से देने के साथ-साथ प्रति सप्ताह १५ लीटर पानी में १५ ग्राम मल्टीप्लायर + २ मिली ऑल क्लियर मिलाकर छिड़काव करें.

रासायनिक खाद एकदम से बंद नहीं करना है, उसका प्रमाण २० प्रतिसत कम करिये, जब आपको उत्पादन बढ़कर मिले, तब अगली फसल में रासायनिक खाद और कम करिये, कुछ सालों में आपका रासायनिक खाद शून्य हो जायेगा.

फसल की ऊंचाई आपके पहले के सभी रेकार्ड ब्रेक कर देगी, उसके पत्तों का आकार देखनेवाले को आश्चर्यचकित कर देगा जैसा पत्तों का आकार रहेगा तथा स्टंप का आकार रहेगा वैसी ही जबरदस्त और ज्यादा संख्या में फली लगेंगी, अभी मार्किट में कुछ नए बीज आये है, उनकी उत्पादन क्षमता ज्यादा है, ऐसे बीजों का इस्तेमाल करके आप और भी ज्यादा उत्पादन ले सकते है.

मल्टीप्लायर के कारण फसल को आवश्यकता से अधिक भोजन मिलता है, इसलिए फसल ताकतवर बनती है, और ज्यादा से ज्यादा फलियों को पोषण देने में समर्थ बनती है, साथ-साथ फलियों के अंदर की तिल के आकार को भी बढ़ाती है, मल्टीप्लायर का इस्तेमाल करने के कारण फसल को बढ़ाने के लिए, पत्तों को गहरे हरे रंग का बनाने के लिए, दूसरे किसी उत्पादन की आवश्यकता नहीं पड़ती.



मंगळवार, २७ फेब्रुवारी, २०१८

Asparagus शतावरी, सतावर.
शतावरी की खेती मल्टीप्लायर के साथ.

शतावरी के बीजों का मल्टीप्लायर के साथ बीजोपचार करें, एक एकड़ में १.५ से २ किलो तक बीज लगते हैं, बीजोपचार करने का तरीका अलग से बताया गया है.

फसल लगाते समय १ किलो मल्टीप्लायर देना है, उसके १ महीने बाद १ किलो मल्टीप्लायर देना है, देने की विधि अलग से बताई गई है.

छिड़काव से फसल पर ज्यादा अच्छा और तुरंत परिणाम मिलता है, इसलिए जमीन से देने के साथ-साथ प्रति सप्ताह १५ लीटर पानी में १५ ग्राम मल्टीप्लायर + २ मिली ऑल क्लियर मिलाकर छिड़काव करें, इसमें आवश्यकतानुसार रासायनिक दवाइयां भी मिलाई जा सकती हैं.

रासायनिक खाद एकदम से बंद नहीं करना है, उसका प्रमाण २० प्रतिसत कम करिये, जब आपको उत्पादन बढ़कर मिले, तब अगली फसल में रासायनिक खाद और कम करिये, बढ़ते उत्पादन के साथ रासायनिक खाद कम होते-होते कुछ सालों में आपका रासायनिक खाद शून्य हो जायेगा.

शतावरी की खेती में पौधों की जितनी ज्यादा ग्रोथ होगी उसकी जड़ें उतनी ज्यादा बनेंगी, मल्टीप्लायर से पौधों की ग्रोथ ज्यादा बनती है, इसलिए उत्पादन बढ़कर मिलता है.

मल्टीप्लायर का इस्तेमाल होने से खर्च में बचत होती है तथा उत्पादन बढ़कर मिलता है.




शनिवार, २४ फेब्रुवारी, २०१८

गाजर.

१) किसान भाई का नाम सुरेश सिनालकर ग्राम रणमला तहसील आंबेगाव जिला पुणे, इनको कंपनी के प्रतिनिधि विकास सिनालकर सर ने मल्टीप्लायर की जानकारी दी.

२) किसान भाई पिछले १ साल से मल्टीप्लायर का इस्तेमाल कर रहे हैं, मल्टीप्लायर की ताकत से परिचित होने के कारण उन्होंने देशी गाजर की फसल में रासायनिक खाद का एक दाना भी नहीं डालने का निश्चय किया.

३) पानी भरते समय ५००-५०० ग्राम २ बार पानी के साथ दिया.

४) फसल १५ दिन की होने से लेकर फसल तैयार होने तक प्रत्येक १५ दिन के अंतर से १५ लीटर पानी में १५ ग्राम मल्टीप्लायर मिलाकर छिड़काव किया.

५) फसल लगातार तेजी से बढ़ती रही, प्रकृति से बिनामूल्य भोजन मिलता रहा, पत्तियों का आकार बड़ा मिला, ऊंचाई ज्यादा मिली.

६) खर्च बहोत कम हुआ, उत्पादन बढ़कर मिला.


शुक्रवार, २३ फेब्रुवारी, २०१८


लहसुन,लस्सन.

१) किसान भाई का नाम अशोक कुमार ग्राम बाघ लकूला तहसील तथा जिला फर्रुखाबाद, इनको कंपनी के प्रतिनिधि आनंद सिंह सर ने मल्टीप्लायर की जानकारी दी.

२) २५० ग्राम मल्टीप्लायर पानी भरते समय पानी के साथ दिया.

३) १५ लीटर पानी में १५ ग्राम मल्टीप्लायर मिलाकर १ बार छिड़काव किया.

४) उपरोक्त दो बार मल्टीप्लायर की ट्रीटमेंट होने के बाद, किसान भाई के पास पानी की कमी हो गई, इसलिए किसान भाई ने लस्सन की फसल में और खर्चा ना करने का निर्णय लिया.

५) दूसरे किसान भाइयों की फसल पानी के आभाव में ख़राब हो गई, कुछ भी उत्पादन मिलना असंभव हो गया, परन्तु अशोक कुमार सर की फसल लगातार बढ़ती रही.

६) आनंद सिंह सर का कहना है की, जितना उत्पादन हमेशा मिलता था, उतना मिलेगा.


बुधवार, २१ फेब्रुवारी, २०१८

अमरुद,जाम,पेरू.

१) किसान भाई का नाम अनिल बाबूराव फड़ोल ग्राम पिंपळद जिला नाशिक, इनको कंपनी के प्रतिनिधि किरण नामदेव गावंडे सर ने मल्टीप्लायर की मदत से ज्यादा उत्पादन लेने की तकनीक बताई.

२) किसान भाई ने पौधों के रूट झोन में मल्टीप्लायर का ड्रेंचिंग किया .

३) १५ लीटर पानी में १५ ग्राम मल्टीप्लायर मिलाकर छिड़काव किया.

४) बालवर की फसल गहरे हरे रंग की बन गई, ग्रोथ अच्छी मिली, अभी
फ्लावरिंग सुरु हुई है, फ्लावरिंग की संख्या भी ज्यादा है.

५) अमरुद के पौधों की ग्रोथ रेकार्ड ब्रेक है, पत्तियां गहरे हरे रंग की दिख रही है, पेरू की पत्तियां हमेशा हलके ग्रीन रंग की होती है.


सोमवार, १९ फेब्रुवारी, २०१८

सरसों.

१) किसान भाई का नाम हेमराज चौधरी ग्राम भरथला तहसील निवाई जिला टोंक किसान भाई स्वयं कंपनी के प्रतिनिधि हैं.
२) हेमराज सर ने सरसों की फसल में प्रति बीघा १ किलो मल्टीप्लायर जमीन से दिया है.
३) फसल की ग्रोथ शानदार हुई है, पूरा पौधा ऊपर से नीचे तक फलियों से भरा है.
४) किसान भाई का कहना है की, आज तक प्रति पौधा इतनी फलियां नहीं देखी थी.
५) किसान भाई ने कुछ फलियों में सरसों के दाने देखे, दानों का आकार भी बड़ा है.


६) रेकार्ड ब्रेक उत्पादन आएगा ऐसा किसान भाई का कहना है.

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रविवार, १८ फेब्रुवारी, २०१८

मटर,वटाणा,बटला.

१) किसान भाई का नाम गुलाबसिंह ग्राम बालोद तहसील बदनावर जिला धार, इनको कंपनी के प्रतिनिधि अजय तिवारी सर ने मल्टीप्लायर की मदत से कम खर्च में ज्यादा उत्पादन लेने की तकनीक बताई.

२) किसान भाई ने रासायनिक खाद के साथ १ किलो मल्टीप्लायर जमीन से दिया.

३) १५ लीटर पानी में १५ ग्राम मल्टीप्लायर मिलाकर २ बार फसल पर छिड़काव किया.

४) फसल की ग्रोथ तेजी से हुई, पूरी फसल गहरे हरे रंग की लगातार बानी हुई है, फूलों की संख्या बता रही है उत्पादन बढ़कर मिलेगा.


शनिवार, १७ फेब्रुवारी, २०१८


मिर्ची.

१) किसान भाई का नाम रणछोड़ राठौर ग्राम बोलेटाण्डा तहसील परोला जिला जळगाव, इनको कंपनी के प्रतिनिधि रविंद्र एस. पाटील सर ने मल्टीप्लायर की जानकारी दी.

२) किसान भाई ने मिर्ची की फसल लगा रखी थी, पूरी फसल में व्हायरस आ जाने के कारण उत्पादन मिलना बंद हो गया था.

३) किसान भाई ने बहुतेरे प्रयोग किये काफी पैसा खर्च हो गया परन्तु मिर्ची में सुधार नहीं आया.

४) किसी किसान भाई की सलाह अनुसार रविंद्र पाटील सर से मुलाक़ात की.

५) किसान भाई ने एक एकड़ क्षेत्र में २ किलो मल्टीप्लायर जमीन से दिया, मिर्ची ड्रिप पर लगाईं थी, प्रत्येक ३ दिन के अंतर से २०० ग्राम मल्टीप्लायर ड्रिप से दिया.

६) ४-४ दिन के अंतर से १५ लीटर पानी में १५ ग्राम मल्टीप्लायर + १ मिली कृष्णा ऑल क्लियर मिलाकर छिड़काव किया.

७) फसल को ताकत मिलते ही किड रोग कम-कम होने लगे, नए पत्ते किड रोग मुक्त आये, जून पत्ते गिरकर उसकी जगह भी नए पत्ते आ गए.

८) आप फोटो में देख सकते हैं, फूल भी आ रहे हैं, मिर्ची भी लग गई है.


बुधवार, १४ फेब्रुवारी, २०१८

गेहूं.

१) किसान भाई का नाम विजयराव वैद्य ग्राम कठोरा जिला अमरावती, इनको किसान भाई ने मल्टीप्लायर इस्तेमाल करने की जानकारी दी.


२) ५०० ग्राम मल्टीप्लायर पानी भरते समय पानी के साथ २ बार दिया.

३) १५ लीटर पानी में १५ ग्राम मल्टीप्लायर + जीवामृत मिलाकर ३ बार फसल पर छिड़काव किया.


४) फसल पहले दिन से तेजी से बढ़ती रही, पत्तों का आकार बड़ा बनने से अधिक भोजन लगातार बनता रहा, फुटवों ( कल्लों) की संख्या ज्यादा मिली, सभी फुटवे बड़े हुए उनमें बालियां लगी, इंगले सर ने बताया की, बालियों में गेहूं के दानों की संख्या ज्यादा है, निश्चित उत्पादन बढ़कर मिले

शुक्रवार, ९ फेब्रुवारी, २०१८

गोबी की नर्सरी.

१) किसान भाई का नाम अरुण शिरोडे सटाना जिला नाशिक, इनको कंपनी के प्रतिनिधि सुनील शिरोडे सर ने बीज ज्यादा मात्रा में उगने के लिए तथा ताकतवर पौधे तैयार होने के लिए मल्टीप्लायर की तकनीक बताई.

२) पौधे तैयार करने के लिए मिटटी का बेड बनाते समय मिटटी में मल्टीप्लायर मिलाया.

३) पौधे उग आने पर १५ लीटर पानी में १५ ग्राम मल्टीप्लायर मिलाकर ३ बार छिड़काव किया.

४) पौधे ज्यादा संख्या में उगे हैं.

५) पौधे ताकतवर हैं.



६) पत्तों का आकार बड़ा तथा कलर डार्क ग्रीन है.


गुरुवार, ८ फेब्रुवारी, २०१८


जीरा.

१) किसान भाई का नाम चंदूलाल जरसनिया थाना पिंपली तहसील बांथली जूनागढ़, चंदूलाल सर स्वयं कंपनी के प्रतिनिधि हैं.

२) चंदूलाल सर ने ८ एकड़ क्षेत्र पर जीरा लगाया है.

३) प्रति एकड़ १ किलो मल्टीप्लायर पानी भरते समय पानी के साथ दिया है.

४) १५ लीटर पानी में १५ ग्राम मल्टीप्लायर + ५ मिली कृष्णा ऑल क्लियर + १ मिली कृष्णा स्प्रे प्लस मिलाकर ४ बार फसल पर छिड़काव किया है.

५) मल्टीप्लायर के कारण अधिक मात्रा में भोजन मिलने से फसल की ग्रोथ लगातार बनी हुई है, फसल का रंग गहरा हरा है, अभी तक किसी भी प्रकार की दवा का छिड़काव नहीं करना पड़ा, ब्रांचिंग ज्यादा होने के कारण उत्पादन बढ़कर मिलेगा.


बुधवार, ७ फेब्रुवारी, २०१८

Agro:
आच्छादन
शेती करतांना तिची सुपीकता वाढण्या साठी काही गोष्टींची खूप आवश्यकता असते आच्छादन त्यातीलच एक महत्वपूर्ण भाग आहे. ज्या विषयी आज आपण माहिती घेऊ.

माणूस जसा थंडी, ऊन, वाऱ्यापासून, शरीराचे रक्षण करण्यासाठी कपडे घालतो, तशीच गरज जमिनीला सुद्धा असते हे आता सिद्ध झाले आहे.
गांडूळे, मुंग्या, मुंगळे इ. नजरेला दिसणारे जीव आणि न दिसणारे सूक्ष्मजीव, बुरशी इ. सजीव जमिनीत सतत काम करत असतात.
या सजीवांच्या क्रिया व्यवस्थित चालण्यासाठी जमिनीत सेंद्रिय पदार्थ, अाेलावा आणि योग्य तापमान आवश्यक असते.
जमीन तपल्यास जमिनीतील लहान - मोठ्या सर्वच सजीवांचे कार्य थांबते.
म्हणून ओला, वाळलेला कचरा, पालापाचोळा आणि जमिनीवर पसरणारी मोट, उडीद ,मूग, रताळी वेल व बोरू, धेंचा सारखे हिरवळीचे पीक इ. द्वारे अच्छादन करता येते.अच्छादनामुळे तणांचे नियंत्रण ही साधते. अच्छादनामुळे जिथल्या तिथेच खत निर्मिती होते; ती क्रिया सतत सुरू राहते.
त्यामुळे पिकांना अन्नद्रव्यांचा पुरवठा सातत्याने होत राहतो.
शेतात उगवलेले तणकट कापून जागेवरच सोडणे, गिरिपुष्प, करंज सारख्या झाडाची पाने अच्छादनासाठी उपयोगी पडतात.
अच्छादनामुळे जमिनीत ओलावही भरपूर टिकून राहतो, बाष्पीभवन होत नाही.
त्यामुळे ओलिताची गरजही खूप कमी होते.

मंगळवार, ६ फेब्रुवारी, २०१८

Agro health:
सेंद्रीय शेती आणि रासायनिक शेतीमधील फरक
भाग ६
कालच्या भागात आपण सेंद्रीय शेती केल्याने काय फायदा होतो, हे पहिले आजच्या भागात सेंद्रीय शेती आणि रासायनिक शेती फरक पाहू
रासायनिक शेती मधे ८५% केमिकल + १५% न्युट्रीशीयन असते.
सेंद्रीय शेती मधे १००% न्युट्रीशीयन व नैसर्गिक असते.
रासायनिक शेतीमधील पदार्थ/ अन्न स्वाद विरहित असते.
सेंद्रीय शेतीमध्ये पदार्थ हे खाण्यास रुचकर असते.
रासायनिक शेतीमुळे मानवी शरीरातील आजाराचे प्रमाण जास्त वाढते.
सेंद्रीय शेतीमुळे प्रतिकारशक्ती वाढते त्यामुळे आजाराचे प्रमाण खूप कमी असते.
रासायनिक शेती ही प्रत्येक अवयवाला घातक असते.
सेंद्रीय शेती ही प्रत्येक अवयवाला पोषक असते.
रासायनिक शेती केल्याने जमीन नापीक होते.
सेंद्रीय शेती केल्याने जमीन सुपीक होते.
रासायनिक शेती पर्यावरणास घातक ठरते.
सेंद्रीय शेती ही पर्यावरणास पूरक असते.
रासायनिक शेतीमधील अन्नपदार्थ विषारी असतात.
सेंद्रीय शेती मधील अन्नपदार्थ पोषक अन्नपदार्थ असतात.
रासायनिक शेतीमुळे पाणी प्रदूषित होते.
सेंद्रीय शेतीमुळे पाणी प्रदूषित होण्याचा प्रश्नच उद्भवत नाही.
रासायनिक शेतीमुळे हावेमधून प्रदूषण होते.
सेंद्रीय शेती मुले हवा प्रदूषित होत नाही.

वरील प्रमाणात रासायनिक आणि सेंद्रीय शेती मधे मोठ्या प्रमाणात फरक जाणवतो.



 अरहर (तुवर) खेती।   मल्टीप्लायर तकनीक के साथ।           १) किसान भाई का नाम श्री रविंद्र दरसिम्बे धारणी जिला अमरावती महाराष्ट्र।   २) मार्ग...